
मंदसौर। इस बार मकर संक्रांति दो दिन मनाई जाएगी। 9 ग्रहों में प्रभावशाली सूर्य 14 जनवरी रात 7.52 बजे मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को दोपहर 1.58 बजे से दूसरे दिन 15 जनवरी को सुबह 11.52 बजे तक रहेगा। इससे दोनों दिन दान पुण्य और स्नान किया जा सकेगा। साथ ही एक दिन पूर्व 13 जनवरी को रविवार होने से शहरवासी 3 दिन तक मकर संक्रांति मना सकते हैं। ज्योतिषविदों के अनुसार मकर संक्रांति में प्रवेश करते ही सूर्य देव उत्तरायण हो जाएंगे। सूर्य के दक्षिणायन से उत्तरायण होते ही दिन भी बड़े होने लगेंगे। इससे पूर्व सूर्य ने 16 दिसंबर को धनु राशि में प्रवेश किया था। सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने के साथ ही मलमास शुरू हो गया था। गौरतलब है कि मलमास में कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य, विवाह, गृह प्रवेश, जनेऊ संस्कार, देव प्राण प्रतिष्ठा, मुंडन संस्कार आदि नहीं होते हैं। सूर्य के 14 जनवरी को मकर संक्रांति में प्रवेश के साथ ही शुभ व मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो सकेगा।
सिंह होगा संक्रांति का वाहन, हाथी उपवाहन
जानकारी अनुसार इससे पहले 2012, 2014 व 2016 में भी संक्रांति 15 जनवरी को मनाई गई थी। जानकारों की मानें तो इस वर्ष 2019 में मकर संक्रांति सिंह पर सवार होकर आएगी। संक्रांति का उप वाहन हाथी है। ग्रह नक्षत्र संकेत दे रहे हैं कि साल 2019 में राजनीतिक उथल पुथल होगी। पंडित के अनुसार साल 2019 की मकर संक्रांति का नाम ध्वंक्षी है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मकर संक्रांति मनाने का विधान है। सूर्य 14 जनवरी की शाम 7.53 बजे मकर राशि में प्रवेश कर रहा है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि सोमवार को रेवती नक्षत्र में संक्रांति मनाई जाएगी। इस दिन अमृत सिद्धि योग है। इस योग में दान- पुण्य करने से कई गुणा फल की प्राप्ति होती है। चूंकि संक्रांति का स्नान सूर्योदय पर किया जाता है, इसलिए 15 जनवरी को स्नान- दान करना पुण्यदायी होगा। इससे पहले 2012, 2014 व 2016 में भी संक्रांति 15 जनवरी को मनाई गई थी। जानकारों की मानें तो इस वर्ष 2019 में मकर संक्रांति सिंह पर सवार होकर आएगी। संक्रांति का उप वाहन हाथी है।
सूर्य कब होते हैं उत्तरायण और दक्षिणायन
कुंभ, मीन, मेष, वृष, मिथुन राशि में जब सूर्य रहता है तब उत्तरायण कहा जाता है। सूर्य जब कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि पर स्थित रहता है तब दक्षिणायन कहलाते हैं।
शनिदेव भी करते हैं पिता का सम्मान
पंडित के अनुसार सूर्य के मकर राशि में आते ही उनके पुत्र और कुंभ राशि के स्वामी शनि देव उनका सम्मान करते हैं। पिता और पुत्र सूर्य और शनि दोनों ही ग्रह पराक्रमी है। ऐसे में जब सूर्य देव मकर राशि में आते हैं तो शनि की प्रिय वस्तुओं का दान करने से सूर्य की कृपा मिलती है। मान सम्मान भी बढ़ता है। तिल से बनी वस्तुओं का दान करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है। सरसों के दान का भी महत्व है। गजक, रेवड़ी, दाल, चावल, वस्त्र, कंबल, रजाई आदि वस्तुओं का दान का भी इस दिन महत्व रहता है। इसे पुण्य कार्य माना जाता है।
रातें छोटी, दिन बड़ा
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरी गोलाद्र्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। इसलिए इस दिन से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम होगा। इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है।