
मन्दसौर। मार्बल की गाय के मंदिर निर्माण हेतु करोड़ों रुपए खर्च करते हैं और जीवंत गौ माता को गंदगी खाते देख कर, नरक से भी अत्यंत वेदना को देख कर भी उसे अनदेखा कर देता है, बेपरवाह जाता है ऐसा व्यक्ति मात्र धर्म के नाम पर पाखंड कर रहा है।
उक्त विचार राष्ट्रसंत श्री कमल मुनि कमलेश ने दलौदा गौशाला में प्रवर्तक रमेशमुनि की 66वीं दीक्षा जयंती गौरक्षा सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहे। आपने कहा कि गाय के बिना कृष्णा अधूरा है तथा गाय की सेवा करके ही कृष्ण भगवान के रूप में पूजनीय बने। हम कृष्ण को तो छप्पन भोग लगाते हैं और गौ माता को कत्लखाने में अकाल मौत के लिए छोड़ देते हैं। मुनि कमलेश ने कहा कि कृष्ण की आत्मा का निवास गाय में है। गाय का कत्ल, कृष्ण के कत्ल के समान है। कोई भी राजनीतिक दल गौ के प्रति गंभीर नहीं है। धर्म का आडंबर प्रदर्शन करने वाले के दिलों में भी गाय के प्रति कोई दिलचस्पी नजर नहीं आती है। जैन संत ने कहा कि एक कसाई गाय का कत्ल करें तो हजारों जनता गाय की दुहाई देकर हिंसा का माहौल बना देंगे और यदि एक गाय रोड पर तड़प रही है तो कोई आंख उठाकर नहीं देखेगा यह दोहरे आचरण अधर्म पाप है गाय रक्षा को लेकर इंसानों को मौत के घाट उतारना कदापि उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में 30 लाख मंदिर और आश्रम है यदि एक-एक में 100 और डेढ़ सौ गायों को रख ले तो कत्लखाने स्वतः जंग खा जाएंगे। सरकारों को कड़ी फटकार लगाते कहा कि मछली मंत्रालय बना सकते हैं तो फिर गौ मंत्रालय क्यों नहीं पशुधन का कोई विकल्प नहीं है। पर्यावरण स्वास्थ्य और आर्थिकता के लिए पशुधन ऑक्सीजन से महत्वपूर्ण है।
अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली की ओर से गोपालको को तिलक लगाकर मिठाई और कपड़े वितरण करते हुए सम्मानित किया गया। कवि विजयमुनिजी, सिद्धार्थमुनिजी चंद्रेशमुनिजी, घनश्याम मुनिजी, कौशल मुनिजी, महासती विजयश्रीजी सुमन ने विचार व्यक्त किए। अखिल भारतीय जैन दिवाकर संगठन समिति के पूर्व महामंत्री महेंद्र कुमार बोथरा रतलाम मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।