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- नगर में पहली बार हुआ यह अनोखा प्रसंग
मन्दसौर निप्र। मरणोपरान्त प्रत्येक व्यक्ति का अंतिम संस्कार उसके धर्म व विधि के अनुसार होना चाहिये, मान्यता है कि दिवंगत व्यक्ति की मुक्ति तभी होती है जब अंतिम संस्कार पूर्ण विधि-विधान व धर्म सम्मत पद्धति से हो।
नगर में पहली बार एक ऐसा प्रसंग उपस्थित हुआ कि एक निराश्रित मृतक का पहले भूमि दाह कर दिया गया याने दफना दिया गया लेकिन इस बीच मृतक की पहचान जब हिन्दू के रूप में हुई तो मृतक के शव को उत्खनन कर भूमि से निकाल कर पूर्ण हिन्दू विधि से अग्निदाह कर अंतिम संस्कार किया गया।
इस प्रसंग की शुरूआत तब हुई जब 19 अपै्रल को मुक्तिधाम के नजदीक रेल से कटकर एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई, रेल्वे पुलिस ने प्रारंभिक अन्वेषण कर मृतक के शव को दफना दिया। इसी दौरान सामाजिक कार्यकर्ता व अन्नक्षेत्र न्यास कमेटी के सदस्य सुनिल बंसल को ज्ञात हुआ कि जिस व्यक्ति के शव को दफना दिया गया है वह हिन्दू था व उसका नाम राम पिता शंकरराव मराठा है। श्री बंसल व रामा को पहचानने वाले लगभग 12 लोगों ने जिला पुलिस अधीक्षक के नाम एक आवेदन दिया व रामा के शव को भूमि उत्खनन कर उसका हिन्दू रीति से अंतिम संस्कार करने की अनुमति चाही। श्री बंसल ने इस पूरे प्रसंग से विधायकयशपालसिंह सिसौदिया व नपाध्यक्ष प्रहलाद बंधवार को भी अवगत कराया। श्री सिसौदिया व श्री बंधवार ने इस मामले को गंभीरता से संज्ञान में लेकर पुलिस अधीक्षक से चर्चा की तथा बंसल व उनके सहयोगियों की भावना के अनुरूप मृतक का हिन्दू रीति से अग्निदाह संस्कार करने की पहल की। इसी आशय का एक आवेदन एस.डी.एम. को भी दिया गया।
इन तमाम प्रयत्नों का परिणाम यह हुआ कि रेल्वे पुलिस को एस.पी. व एस.डी.एम. ने जनभावना से अवगत कराया व रामा पिता शंकरराव मराठा जिसके शव को दफना दिया गया था भूमि उत्खनन कर 30 अप्रैल रविवार को शव का पूर्ण हिन्दू रीति से अग्निदाह संस्कार किया गया।
मुक्तिधाम में रामा मराठा के शव का 30 अप्रैल रविवार को प्रातः 9.30 बजे विधि विधान से अंतिम संस्कार हुआ। इस मौके पर सुनिल बंसल, नायब तहसीलदार शिवदत्त शर्मा, रेल्वे पुलिस अधिकारी विजेन्द्रसिंह कुशवाह, लाल तिवारी व रामा को पहचानने वाले बिल्लूभाई, कैलाश, कृष्णा नपा से दिनेश तंवर, प्रकाश, निर्मलाबाई आदि उपस्थित थे। सभी ने मृतात्मा की शांति के लिये प्रार्थना की।