
गरोठ। दूधाखेड़ी माताजी मंदिर नवनिर्माण के दौरान चबूतरा धंसने और माताजी की मूर्तियां धराशायी होने के मामले में एफआईआर दर्ज होने के 8 माह बाद भी पुलिस ने ठेकेदार पर कार्रवाई नहीं है। इसके अलावा मामले की जांच कर उज्जैन संभाग के अपर आयुक्त अशोक भार्गव भी अपनी जांच रिपोर्ट के आधार पर पुलिस को कार्रवाई के लिए लिख चुके हैं, फिर भी पुलिस कार्रवाई करने में विलंब कर रही है। अब इस मामले में फिर से कार्रवाई के लिए डीजीपी और एसपी को पत्र लिखा गया है।
सामाजिक कार्यकर्ता जगदीश अग्रवाल ने बताया कि दूधाखेड़ी माताजी मंदिर में नवनिर्माण के दौरान ठेकेदार सहित लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों और मंदिर प्रबंध समिति के जिम्मेदार पदाधिकारियों की लापरवाही के कारण 20 जनवरी 17 को शाम को माताजी का चबूतरा धंसने से माताजी की मूर्तियां जमीन पर जा गिरी थी। इसके बाद जनाक्रोश के चलते लोगों ने आगजनी की और पुलिस और प्रशासन पर भी पथराव कर दो दिन तक पूरे क्षेत्र में चक्काजाम कर दिया था। प्रशासन और पुलिस ने गुस्से को शांत करने के लिए ताबड़तोड़ मंदिर ठेकेदार के कर्मचारी कल्पेश सोमपुरा के विरुद्घ भानपुरा पुलिस थाने में प्रकरण दर्ज करवाया था। इसी मामले में उज्जैन संभाग के अपर आयुक्त डॉ.अशोक कुमार भार्गव ने भी जांच की थी।
गरोठ एसडीओपी ने 5 अगस्त को भानपुरा टीआई गोपालसिंह चौहान को भेजे पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया था कि दूधाखेड़ी माताजी मंदिर नवनिर्माण में लापरवाही करने वालों की जवाबदारी निर्धारित की गई है। लापरवाही को लेकर भानपुरा थाने में दर्ज अपराध में जांच के आधार पर वरिष्ठ अधिकारियों की राय प्राप्त कर प्रकरण का निराकरण करें, पर अभी तक गरोठ के निर्देश का पालन नहीं हुआ है। अब फिर ार्रवाई हेतु डीजीपी, आईजी उज्जौन एवं एसपी को पत्र लिखा है।