
मंदसौर। गीता में व्यक्तित्व विकास के अनेक सौपान है जो आपकों चमत्कृत कर देगें। गीता का व्यक्तित्व विकास अलग प्रक्रिया है उसका सांसारिक प्रकिृया से लेना-देना बहुत कम है। गीता एक आचार शात्र है। मानव को कैसे मानव के रूप में प्रतिष्ठित किया जावे इसका संदेश गीता देती है। गीता के अनुसार समयबद्वता, नियमबद्वता और वचनबद्वता जिस व्यक्ति के जीवन में होती है उसका जीवन सबसे ज्यादा सफल और सक्षम होता है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में जो ज्ञान दिया है उसी में व्यक्तित्व का विकास भी छीपा हुआ है।
यह बात भागवताचार्य पं. मदनलाल जोशी की स्मृति में आयोजित स्मृति पर्व पर संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. ओम जोशी ने मुख्य वक्ता के रूप मेंकहीं। समारोह में विधायक यशपालसिंह सिसोदिया, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती प्रियंका गोस्वामी, कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव, नगर पालिका अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार भी मंचस्थ थे। समारोह में श्रीमती वंदना डॉ. ओम जोशी एवं श्रीमती भारती ओमप्रकाश श्रीवास्तव भी विशेष रूप से उपस्थित थे।
डॉ जोशी ने कहा कि गीता कहती है कि शारिरीक, वाचित और मानसिक तप करने से जीवन का समुचित विकास संभव है। इसलिये हर व्यक्ति को प्रण करना चाहिये कि वह अपने जीवन में किसी का मन नहीं दिखाऐ, सत्य और प्रिय बोले, स्वाध्याय और उसका अभ्यास करें, मन को प्रसन्न रखे और अपने व्यवहार से शीतलता प्रदान करें । व्यक्तित्व का विकास तभी होगा जब आप अपने नियत कर्म करते रहे। अगर कर्म नहीं होगा तो जीवन यात्रा चलने वाली नहीं है। व्यक्ति हमेंशा कर्मशील रहें यह ज्ञान श्रीकृष्ण ने गीता के माध्यम से दिया है। डॉ जोशी ने कहा कि मानव जीवन में दिनचर्या का नियमित होना नितांत आवश्यक है। सुबह जल्दी उठना, जल्दी सोना, ब्रह्म मुर्हूत में ज्ञान अर्जन करना और ऊचित आहार ग्रहण करना ये सारे सिद्धान्त व्यक्तित्व विकास के लिये आवश्यक है। गीता जीवन के लिये सबसे बड़ी प्रेरणास्त्रोत है। इसका व्यक्तित्व विकास का ज्ञान सबसे अलग है। व्यक्तित्व के विकास में मन की स्थिति भी बहुत महत्वपूर्ण है।
व्याख्यान माला को संबोधित करते हुए कलेक्टर ओमप्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि गीता पूजन, पाठन या समझने का नहीं बल्कि जीवन जीने का एक महानतम ग्रंथ है जिसे ह्दय से समझा और जीया जाता है। गीता सार की गलत व्याख्याएं कई जगह की हुई है जबकी गीता में कहीं भी निराशावादी विचारों का उल्लेख नहीं है, गीता तो सिखाती है कि व्यक्ति को कर्म करना चाहिये। अगर कोई कर्म के प्रति डर गया हो तो कृष्ण ने उसको जीवन जीने का मार्ग और कर्म करने का तरीका बताया है। आपने कहा कि हमारा जीवन रोने या पलायन करने के लिये नहीं है बल्कि परिस्थितियों से जूझते हुए आगे बढ़ने के लिये है और भगवान से यह प्रार्थना करने के लिये है कि वह हमें इनसे जूझने की शक्ति प्रदान करें।
स्वागत भाषण आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र लोढ़ा ने देते हुए कहा कि पं मदनलाल जोशी ने सफलता के शिखर को प्राप्त किया, धर्म को उन्होंने रसिक्त भक्ति से संयोजित कर भक्ति के आलोक को अध्यात्म पर प्रसारित किया व उसे उपासना का स्वरूप दिया। रसपूर्ण भक्ति की श्रेणियों में पं मदनलाल जोशी ने जीवन को तराशने की पारंगतता प्राप्त कर ली थी और उसी ने उन्हें अन्तराष्ट्रिय भागवत प्रवक्ता के रूप में स्थापित किया। धर्म का विश्लेषण आध्यात्म का आख्यान, स्थितियां जब वे अपने मृदु कंठ से प्रसारित करते थे तो श्रोता सम्मोहित होकर उनकी वाणी को जीवन में अंगीकृत करने का प्रयास करते थे। जीवन में सरलता, सादगी, संयम का सम्मिश्रण उन्हें संत की उल्लेखितता से संयुक्त करता था।
कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश जोशी ने कहा कि पं जोशी की सदैव यह भावना थी कि देश के ख्यातनाम विद्वान हमारे शहर में आये और धर्म, अध्यात्म, शिक्षा, देश, राजनीति सहित महत्वपूर्ण विषयों पर हमसे चर्चा करें।
स्मृति पर्व समारोह में उच्च न्यायालय के से.नि. न्यायाधीश श्री गिरिराजदास सक्सेना, सह संघचालक गुरूचरण बग्गा, विभाग कार्यवाह दशरथसिंह झाला, राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के विभाग प्रचारक योगेश शर्मा, संजय राठौर, गौरव सोनी, पार्षद संध्या शर्मा, विजय गुर्जर, गुड्ड गडवाल, कांतिलाल राठौर एड., पं. राधेश्याम पार्टनर, पं. कुबेरकान्त त्रिपाठी, पं. गोपाल भट्ट, सत्येन्द्रसिंह, युसुफ निलगर सहित नगर के अनेक गणमान्य महानुभाव उपस्थित थे।
प्रारम्भ में अतिथियों ने दीप प्रजवलन एवं पुष्पाजंली अर्पित कर आयोजन का श्रीगणेश किया। सम्मान देकर मुख्य वक्ता का अभिनंदन किया गया। अतिथियों का स्वागत सुरेन्द्र लोढ़ा, कैलाश जोशी, डॉ ज्ञानचंद खमेसरा, सौभाग्यमल जैन, महेश मिश्रा, प्रहलाद काबरा, सूरजमल गर्ग चाचाजी, सुनिल बंसल, जयेश नागर, धनराज धनगर, राव विजयसिंह, वेद प्रकाश मिश्रा, मनीष सोनी, नरेन्द्र सिपानी, संजय पोरवाल, नंदू भाई आड़वाणी, प्रबोध पारिख, हरिश अग्रवाल, सचिन पारख, गोपालकृष्ण शर्मा एड्व्होकेट, उमेश पारिख, अरूण शर्मा, राजेश दूबे, बंशीलाल टांक, योगेश जोशी, ब्रजेश जोशी, रवि अग्रवाल, घनश्याम खत्री, श्रीमती आशा शर्मा, श्रीमती सौम्यलता जोशी, श्रीमती दया जोशी, अलका जोशी, राजाराम तंवर, डॉ बी.आर. नलवाया, कमल जैन, पं विश्वेश्वर जोशी, आशीष शर्मा, डॉ घनश्याम बटवाल, कन्हैयालाल भाटी, अर्जूनसिंह राठौर, अशोक त्रिपाठी ने किया। समारोह का संचालन समिति के महामंत्री डॉ. घनश्याम बटवाल ने किया। आभार डॉ. ज्ञानचंद खिमेसरा ने माना।