
पुुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की आर्थिक राजनैतिक व अन्य मोर्चों पर सर्जिकल स्ट्राईक चालू हो गई है सरकार ने पाकिस्तान से मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस ले लिया है। अंर्तराष्ट्रीय व्यापार नियमों के अंतर्गत दुनिया के हर देश को व्यापार की दृष्टि से किसी एक देश को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देना होता है जिससे व्यापार में कई सारी रियायतें दोनो ही पक्षों को प्राप्त होती हैं भारत ने यह दर्जा पाकिस्तान को दे रखा था उसे वापस ले लिया गया है। इसके अलावा भारत सरकार ने पाकिस्तान से आयात होने वाले सामान पर एक्साईज ड्यूटी पहले से बढाकर 200 प्रतिशत कर दी है मानकर चलना चाहिये कि इसके बाद पाकिस्तान से भारत का निर्यात लगभग समाप्त हो जाएगा और इससे पाकिस्तान को आर्थिक मोर्चे पर बडी हानि उठाना पडेगी। अपनी माली हालत के चलते दुनिया भर में कटोरा लेकर भीख मांग रहे पाकिस्तान के लिये यह चोट कोई कम नहीं है। इतना ही नहीं तो सउदी अरब के प्रिंस ने अपने पाकिस्तान दौरे पर वहॉं के बडे व्यापारियों के साथ होने वाली व्यावसायिक मीटिंग को पुलवामा हमले पर भारत के समर्थन में टाल दिया जिससे पाकिस्तान को सउदी अरब से मिलने वाली बडी सहायता राशि मिलने की सारी आशाऐं धूमिल हो गई। चीन को छोडकर विश्व के सभी प्रमुख देश पाकिस्तान को आतंक को पनाह देने की बात पर लताड लगा ही रहे हैं और उसके उपर से भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पाकिस्तान को दी जा रही खुली चुनौति और सबक सिखाने का भारत की जनता से किया वादा ना केवल पाकिस्तान की नींद उडा रहा है बल्कि वहॉं पल रहे आतंकीयों के होश भी उडा रहा है। यह कोई कम बात नहीं है। सरकार ने भारत की सेना को खुली छूट दे दी है कि वह भारतीय जवानों की शहादत का हिसाब चुकाने के लिये हर तरह के निर्णय को लेने के लिये स्वतंत्र है याने सीमा पर सेना और आर्थिक व कूटनीति के मोर्चे पर भारत सरकार पाकिस्तान के पीछे हाथ धोकर पड गई है। पाकिस्तान के मीडिया के हवाले से खबर है कि दुनिया का मोस्ट वांटेड आतंकी अजहर मसूद पाकिस्तान की सेना की संरक्षा में है और उसके ठिकाने लगातार बदले जा रहे हैं ताकि उसकी खोज भारतीय सुरक्षा प्रणालियॉं नहीं कर सकें लेकिन सरकार के एक्शन को देखते हुए लगता है कि आतंक के इन रहनुमाओं को सजा देने में जल्दी ही सफलता मिलेगी। भारत का जनमानस आक्रेाशित है और जल्दी से जल्दी बदला लेना चाहता है लेकिन भारत की सेना और उसके अधिकारी जानते हैं कि इस मामले में जल्दबाजी करना सही नहीं होगा और उचित समय की तलाश करनी होगी बस, यह तय है कि इस आतंकी हमले का पुरजोर जवाब देना ही है। भारत की चिंता सिर्फ इतनी है कि वह अपने ही देश में मौजूद पाकिस्तान परस्त लोगों से कैसे निजात पाए? पुलवामा हमले में भी यही तथ्य सामने आया है कि पाकिस्तान की आईएसआई और लश्करे तैयबा ने कश्मीर के स्थानीय व्यक्ति को ही इस आत्मघाती हमले के लिये तैयार किया था। यह तथ्य भी सामने आया है कि इतनी बडी मात्रा में विस्फोटक स्थानीय मदद के बिना लाना ले जाना संभव नहीं बस यही चिंता भारत सरकार और सुरक्षा बलों की है कि वह कश्मीर में निवास कर रहे पाकिस्तान परस्त लोगों का क्या करे? हालांकि कश्मीर के अलगाववादी नेताओं से सरकारी सुविधाऐं और सुरक्षा वापस लेकर श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है जो असंभव सा था। हुर्रियत के नेता कश्मीर में रह कर पाकिस्तान की पैरवी करते नजर आते थे। भारत के जनमानस में यह प्रश्न हमेशा से ही रहता था कि कश्मीर के इन अलगाववादी नेताओं को हम क्यों पाल रहे हैं? यह जानते हुए भी कि वे खाना भारत का खा रहे हैं और गाना पाकिस्तान का बजा रहे हैं। लेकिन देर आए दुरूस्त आए भारत सरकार का यह कदम पाकिस्तान परस्त लोगों से निजात पाने की दिशा में एक प्रभावशाली कदम सिद्ध होगा यह विश्वास किया जाना चाहिये। तो, पुलवामा में शहीद हुए 45 बलिदानियों ने जिसे प्रकार अपने बलिदान से इस पूरे देश की आत्मा को झकझोर कर रख दिया और देशभक्ति के उठे ज्वार ने सरकार को कडे कदम उठाने को मजबूर कर दिया तो इसके देश हित में सार्थक परिणाम आऐंगे इसमें कोई आशंका नहीं। लेकिन ये तो शुरूआत भर है जब सरकार, विपक्षी दल और सेना सभी ने पाकिस्तान को सबक सिखाने और आतंकवाद के विरूद्ध निर्णायक लडाई छेडने का निर्णय कर ही लिया है तो पाकिस्तान के चल रहे बुरे दिनों में अभी बहुत कुछ जुडना बाकि है बस उचित समय की प्रतीक्षा और थोडे से संयम की जरूरत है हम भारतवासियों को।
– डॉ. क्षितिज पुरोहित