जन्म दिनांक: 9 सितंबर 1895
शिक्षा: एम ए ( अंग्रेजी )
व्यवसाय: वैद्य एवं समाजसेवा
उपलब्धि: भगवान पशुपतिनाथ मूर्ति का संरक्षण एवं स्थापना,आजाद नगरपालिका के प्रथम अध्यक्ष
मन्दसौर को पशुपतिनाथ से मिलाने वाले शख्स
मंदसौरवासियों को अष्टमुखी भगवान पशुपतिनाथ से मिलवाने वाले इस शख्स का नाम समाजसेवा व धार्मिक अनुष्ठानों के लिए शहर में सम्मान से लिया जाता है। वे आजादी के बाद गठित पहली नगर परिषद के अध्यक्ष भी रहे। हम बात कर रहे हैं स्व. बाबू श्री शिवदर्शनलाल अग्रवाल की। जिन्होंने जीवन पर्यंत उच्च विचार एवं आदर्शों से जनता की सेवा की। परिवार आज भी उन्हीं के आदर्शों का अनुसरण कर रहा है। आपका जन्म मन्दसौर में हुआ। पिता हजारीलाल अग्रवाल थे। पौत्र वधु श्री मती आशादेवी अग्रवाल, प्रपौत्र विश्वमोहन अग्रवाल, रवि शंकर अग्रवाल है। आपने जीवन पर्यंत समाजसेवा के कार्य किए। वर्तमान में महादेव घाट आपके परिश्रम का फल है।
सोमवार 10 जून 1940 को ऊदाजी धोबी ने शिवना नदी में चिमन चिस्ती दरगाह के नीचे एक सुंदर प्रतीमा देखी। उन्होंने इसकी जानकारी बाबूजी को दी और महावीर व्यायाम शाला व सैकड़ों नागरिकों के सहयोग से रातभर में प्रतिमा को बैलगाडि़यों पर चढ़ाकर खेत तक लाया गया। पहले प्रतिमा को महादेव घाट पर स्थापित करने के प्रयास हुए। प्रशासन ने आपत्ति ले ली। जनभावनाओं को देखते हुए प्रतिमा खेत में ही रही। बाबू श्री शिवदर्शनलाल अग्रवाल को इस प्रतिमा की रक्षा में कई बार हमले व धमकियां झेलनी पड़ी । इसके बावजूद 21 सालों तक आपने प्रतिमा का संरक्षण किया तथा प्रतिमा स्थापना के लिए एक कमेटी बनाई और 27 नवंबर 1961 को इसकी स्थापना वैदिक विधि विधान एवं मंत्रोच्चार के साथ वर्तमान स्थान पर की गई। ‘पशुपतिनाथ‘ नाम मैनपुरिया आश्रम के संत स्वामी प्रत्यक्षानंदजी महाराज ने दिया।
बाबूजी का जीवन राजनीतिक उपलब्धियों से भी भरा रहा। 1952 में देश की आजादी के बाद मध्यभारत के प्रथम आम चुनाव हुए। इसमें कांग्रस से श्री श्यामसंुदर पाटीदार विजयी घोषित हुए थे। परंतु मध्यभारत के मुख्यमंत्री के रूप में श्री तखतमलजी जैन को नियुक्त किया गया, जो गंजबासौदा से पराजित हो गए थे। इसलिए दिल्ली हाईकमान के निर्देशानुसार श्यामसुंदर पाटीदार ने विधायक पद से इस्तीफा देकर यह सीट खाली कर दी। दो माह बाद उपचुनाव हुए जिसमें मध्यभारत के मुख्यमंत्री के रूप में तखतमल जैन को पराजित कर हिन्दू महासभा से उम्मीदवार बाबू श्री शिवदर्शनलाल अग्रवाल विजयी हुए।
बाबूजी साल 1947 में आजाद भारत की पहली नगर परिषद के प्रथम अध्यक्ष भी रहे हैं। साल 1921 में ही मंदसौर में कांग्रेस की नींव डाली व कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष बने। इसके बाद आपने वीर सावरकर से प्रभावित होकर हिन्दू महासभा की स्थापना मंदसौर में की और संगठन का सारा जिम्मा संभाला। आपने खादी भंडार, महावीर व्यायाम शाला, जंगली हनुमान मंदिर, बाहर पत्थर का मेला शुरू करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नाहर सैय्यद तालाब से निकले द्विमुखी गणपति जी की पंच सुण्डी प्रतिमा को अपने मित्रों व धर्मपरायण नगरवासियों के साथ मिलकर गणपति चौक में स्थापना। अपने जिवन काल में अनेक धार्मिक स्थानों, मंदिरों व प्रतिमाओं की स्थापना कराई और साथ ही साथ उनकी रक्षा भी की। इसीलिए आपको बूढ़ा शेर की उपाधी मिली थी।