

मंदसौर/ मंदसौर नगर पालिका CMO सविता प्रधान के खिलाफ गिरफ़्तारी वॉरंट जारी होने के बाद पूरे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। सीएमओ सविता प्रधान गौड़ पर मंडला में पदस्थी के दौरान भ्रष्टाचार के मामले में आर्थिक अपराध अनुसंधान विभाग (ईओडब्ल्यू) की जांच के बाद प्रकरण दर्ज हुआ है। मंडला की जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद से ही सीएमओ नगर पालिका भी नहीं आ रही हैं। मोबाइल भी बंद कर रखा है। शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट में उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी पर सुनवाई नहीं हो सकी। अब 17 दिसंबर को इस मामले में सुनवाई हो सकती है। इधर सीएमओ के नगर पालिका नहीं आने से सारा काम-काज भी ठप पड़ा है। हालांकि, उनके खिलाफ दर्ज मामला साल 2010-11 का है उस समय वो मंडला में पदस्थ थीं। इस दौरान अनिल जैन नामक शख्स ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। CMO पर आरोप था कि, उन्होंने लाइट समेत अन्य सामग्री खरीदी है। साथ ही उनपर ये भी आरोप है कि, उन्होंने टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी करते हुए किसी एक फर्म को लाभ पहुंचाया है।
मंडला में पदस्थी के दौरान सीएमओ सविता प्रधान गौड़ पर 20 लाख रुपए की खरीदी के मामले में ईओडब्ल्यू की जांच के बाद मंडला कोर्ट ने संज्ञान लेकर प्रकरण दर्ज किया था। प्रकरण दर्ज होने के बाद पहले जब कोर्ट से वारंट जारी हुए तो सीएमओ पेश ही नहीं हुई थी। इओडब्ल्यू द्वारा चालान पेश करने के बाद भी सविता प्रधान पेश नहीं हुई तो न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट भी जारी कर दिया था। इस पर सीएमओ प्रधान ने मंडला जिला न्यायालय ने अग्रिम याचिका लगाई थी इसके बाद से ही सीएमओ नगर पालिका में नहीं आ रही है। मंडला में याचिका खारिज होने के बाद 5 दिसंबर को जबलपुर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका लगाई गई है। उस पर शुक्रवार को सुनवाई होना थी, पर किसी कारण से सुनवाई नहीं हुई है और अब संभावित तारीख 17 दिसंबर को लगी है। इधर मंदसौर से सीएमओ अपने मातहतों को कहकर गई है कि माताजी की तबीयत ठीक नहीं हैं उनका उपचार कराने जा रही हूं। पर उसके बाद से मोबाइल भी चालू नहीं रखा है।
4 दिसंबर से अवकाश पर हैं CMO
आपको बता दें कि, सीएमओ सविता प्रधान क्लास वन अधिकारी हैं, जिसके चलते आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो (EOW) उनके खिलाफ सीधे तौर किसी तरह का मामला दर्ज नहीं कर सका, उसने लोक अभियोजन की अनुमति के लिए शासन को पत्र लिखा, लेकिन वहां से इस संबंध में अब तक कोई जवाब सामने नहीं है। इसके चलते मंडला कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लिया। कोर्ट ने 3 दिसंबर को CMO सविता प्रधान की ओर से दायर की गयी अग्रिम ज़मानत याचिका खारिज कर दिया था। इसके अगले दिन से ही सविता प्रधान अवकाश पर चली गईं। इसके बाद से उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका। इसी संबंध में बुधवार को मंडला कोर्ट ने सीएमओ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जिसके जवाब में उन्होंने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई है।
सुनवाई के बाद लिया जाएगा फैसला
इधर, सविता प्रधान ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगा रखी है, जिसपर आज सुनवाई होनी है। वहीं, दूसरी ओर मंडला एसपी ने सीएमओ री गिरफ्तारी के लिए महिला पुलिस की एक टीम तैयार कर रखी है। मंडला ईओडब्ल्यू निरीक्षक चरणजीत भांभी के मुताबिक, फिलहाल सीएमओ मेडम की आज हाईकोर्ट में सुनवाई है। पहले भी ऐसी ही एक याचिका को मंडला कोर्ट खारिज कर चुका है। इस पर शुक्रवार को हाईकोर्ट में पैशी होनी है। अगर हाईकोर्ट से उन्हें जमानत मिलती है, तो ठीक वरना तय मापदंडों के आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
क्या है मामला
सविता प्रधान जब मंडला नगर पालिका में पदस्थ थी। बिना टेंडर प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन करके काफी सामग्री खरीदी। जब एक पार्षद अर्चना जैन ने आपत्ति उठाई तो उसके विरुद्घ एससीएसटी एक्ट का प्रकरण दर्ज कराकर जेल भिजवा दिया था। तब अर्चना जैन के पति अनिल जैन ने सीएमओ के खिलाफ ईओडब्ल्यू में शिकायत की। जब ईओडब्ल्यू जबलपुर ने जांच में सीएमओ सविता प्रधान को दोषी भी पाया। पर उनके खिलाफ प्रकरण दर्ज करने के लिए राज्य शासन की अनुमति के लिए जनवरी 2019 में पत्र लिखा है, जिसका अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। इधर याचिकाकर्ता ने मंडला न्यायालय में सीएमओ सविता प्रधान के विरुद्घ भादंसं की धारा 420, 467, 468, 409 एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13-1-डी के तहत प्रकरण दर्ज करने का आवेदन प्रस्तुत किया। आवेदन पर सुनवाई कर न्यायालय ने ईओडब्ल्यू पुलिस थाना भोपाल में प्रकरण दर्ज कराया गया। ईओडब्ल्यू ने सविता प्रधान को छोड़कर अन्य सभी आरोपितों के विरूद्घ चालान पेश कर दिया। प्रधान के विरुद्घ चालान पेश नहीं करने के पीछे तर्क यह दिया गया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत चालान पेश करने के लिए विधि विभाग की अनुमति मिलना चाहिए, जो अभी तक नहीं मिली है। तब डीपीओ अरुण मिश्रा ने न्यायालय में एक आवेदन लगाया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अलावा अन्य धाराओं में तो सुनवाई की जाना चाहिए। तब न्यायालय ने सविता प्रधान के विरुद्घ भी प्रकरण दर्ज कर वारंट जारी किए। वह उपस्थित नहीं हुई तो गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। वहां दायर की गई अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज हो गई। प्रधान ने इसके बाद गिरफ्तारी वारंट को दंप्रसं की धारा 482 के तहत निरस्त करने के लिए जबलपुर हाईकोर्ट में एमसीआरसी लगाई। जब जनवरी की तारीख लगी तो पांच दिसंबर को अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिस पर शुक्रवार को सुनवाई नहीं हो सकी।
जब लंबे समय तक शासन ने सीएमओ सविता प्रधान के विरुद्घ चालान पेश करने की अनुमति नहीं दी तो न्यायालय से निवेदन किया था कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अतिरिक्त अन्य धाराओं में सुनवाई शुरू की जाए। न्यायालय ने इस बात को माना और स्वयं संज्ञान लिया था। ईओडब्ल्यू ने चालान पेश कर दिया है। सीएमओ के विरुद्घ गिरफ्तारी वारंट भी जारी है। पुलिस उन्हें कब पेश करेगी, नहीं कहा जा सकता है। उनकी अग्रिम जमानत याचिका मंडला न्यायालय ने खारिज कर दी है। सूचना है कि शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट में भी सुनवाई नहीं हो सकी है। -अरुण मिश्रा, जिला अभियोजन अधिकारी मंडला
एमओ पद पर रहते हुए सविता प्रधान ने खरीदी में लाखों रुपए का घपला किया है। इसकी शिकायत की थी। न्यायालय में चालान पेश हो गया है। सीएमओ सविता प्रधान को सजा दिलाने का पूरा प्रयास कर रहा हूं। -अनिल जैन, शिकायतकर्ता, मंडला
शासकीय अधिकारी होने के कारण हमने अभियोजन स्वीकृति के लिए शासन को जनवरी 2019 में भेजा था। अभी तक स्वीकृति नहीं मिली। न्यायालय ने स्वयं मामले में संज्ञान लिया है। उन्हें भादंसं की धारा 120 बी का भी आरोपित बनाया गया है। शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका भी सुनवाई नहीं हुई है। अब संभवतः 17 दिसंबर को सुनवाई होगी। -स्वर्णजीतसिंह, निरीक्षक ईओडब्ल्यू जबलपुर