
मन्दसौर: स्वच्छता सर्वेक्षण में मन्दसौर का 74 वां स्थान प्राप्त होने पर नगरपालिका मन्दसौर ने सफाई कर्मियों का सम्मान समारोह रखा। लेकिन ये एक ऐसा अदभुद सम्मान समारोह था। जहां आज मन्दसौर समाजिक समरसता के नाम पर देश भर में झंडे गाड़ रहा है वहीं अनुसूचित जाति समाज के लोगों को सम्मान के नाम पर अपमानित किया जाना कहा तक सही है।
1. कार्यक्रम पांडाल में सम्मान प्राप्त करने वाली सभी महिलाओं को नीचे दरी पर बिठाया गया। बाकी सभी आगंतुक कुर्सियों पर बैठे। नपा अध्यक्ष प्रहलाद जी बंधवार द्वारा महिलाओं को माईक के द्वारा बुलाया और कहा कि आगे आपके लिए दरी बीछी हुई है इस पर आकर बैठे अर्थात यह संयोग वश नहीं हुआ पूर्व नियोजित था की महिलाओं को नीचे बिठाना है। जहां आज महिलाओं के सम्मान और एक समानता के लिए सरकार अनेक कार्य कर रही है व साथ ही तीन तलाक के नाम पर उन्हें समान अधिकार दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। ऐसे दौर में महिलाओं को साथ में बैठने का भी अधिकार नहीं दिया जा रहा है। यह कहां का न्याय है।
2. महिलाओं को सुन्दरता के नाम पर मंच संचालक शेखर नागदा ने ‘गेली’ नाम की एक गाली का उपायोंग किया ओर उन्होंने आखरी तक कहा की आप सभी ‘गेली’ है ना अर्थात सुन्दर है ना। इस गाली को लेकर उन्होंने एक किस्सा सुनाया ओर सभी को ‘गेली’ बना दिया। वाह रे मेरे संचालक महोदय!
3. मच संचालक शेखर नागदा मंच से बार बार कहते रहे कि प्रदेश में मन्दसौर का स्वच्छता सर्वेक्षण में चौथा प्राप्त हुआ है जबकी मंच के पीछे लगे फ्लेक्स पर पांचवा स्थान बताया गया है। और नागदा जी के द्वारा यह भी मंच से कहा गया कि मन्दसौर नगर पालिका कितनी उदार है कि चौथा स्थान प्राप्त होने के बाद भी अपने आपको 5 वां बता रही है। जबकि सही में मन्दसौर का प्रदेश में 5 स्थान ही प्राप्त हुआ है।
4. हमारे लोकप्रिय विधायक श्री यशपाल सिंह सिसोदिया ने तो हद ही कर दी उन्होंने अपने बहुत लम्बे उद्बोधन में यह भी कहा की ”डॉक्टर को बेटा डॉक्टर बनेता है, नेता का बैटा नेता बनता है, कलेक्टर का बेटा कलेक्टर और वाल्मिकी समाज का बैटा भी आगे चल कर सफाई कर्मचारी ही बनेगा।” क्या हमारे विधायक जी को यही लगता है क्या, कि नेता, डॉक्टर व कलेक्टर का बैटा सम्मान का हकदार है और वाल्मीकि समाज का बच्चा आगे पढ़ लिखकर उंचे पद पर नहीं जा सकता है।
5. विधायक जी ने अपने बहुत लम्बे भाषण में शिवना सफाई का मुद्दा उठाया। जब विधायक जी पूर्व में नगरपालिका अध्यक्ष रह चुके है विधायक दो बार विधायक की पदवी प्राप्त कर चुके है। अर्थात् 14 वर्ष का कार्यकाल रहा है उन्होंने अभी तक शिवना के लिए कोई खास कार्य नहीं किया और शिवना को केवल एक राजनिति का मुद्दा बना दिया है जैसै कि अयोध्या का राम मंदिर। पिछली बार भी चुनाव के समय जल कुंभी को हटाना मेरी पहली प्राथमीकता होगी यह कह कर उन्होंने शिवना मईया को राजनीति से जोड़ा था और वह लगभग सात महिने बाद साफ हुई। क्या शिवना केवल एक राजनीति का मद्दा है धर्म प्रेमियों की आस्था के साथ खिलवाड़ करना कहां तक उचित है।
6. दरागाओं और जल कर विभाग के कर्मचारियों, नपा सीएमओं भट्ट जी व स्वास्थ सचिव उपाध्याय जी को सम्मान के लिए मंच पर बुलाया गया। दरोगाओं का सम्मान किया गया ठीक है पर जल कर विभाग के कर्मचारियों का स्वच्छता से कोई लेना देना नहीं है उन्हें किस बात के लिए सम्मानित किया गया। यह कौन जाने। सीएमओं व स्वास्थ सचिव ने सम्मान लेने से मना कर दिया। लेकिन जिन कर्मचारियों ने जमीनी स्तर पर कार्य कर सफाई की उन माताओं बहनों व भाईयों को नहीं मंच पर बुलाया गया और नहीं उनका सम्मान हेतु नगर पालिका ने कोई व्यवस्था की। वो तो कार्यक्रम के पश्चात विधायक जी व पुखराज दशोहरा ने इसका संज्ञान लेते हुए सफाईकर्मियों पर फुल वर्षा की। इसके लिए उन्हें साधुवाद।
7. कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक मंच से जिला भाजपा महामंत्री श्री महेन्द्र चौरडिया द्वारा सफाईकर्मियों को जातिसूचक शब्दों से सम्बोधित कर अपमानित किया गया। क्या इतना सा भी भाषा ज्ञान आज हमारे जिला स्तर के भाजपा नेताओं में नहीं है यह विचारणिय प्रशन है।
8. कार्यक्रम के पश्चात मंच के पास विवाद की स्थिति हुई उत्पन्न। जिसमें स्वच्छता अम्बेसडेर पुखराज दशोहरा व मिथुन वप्ता ने नपा अध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा सम्भाला ओर कार्यक्रम में हुई अनियमितताओं व अपमान हेतु अपना विरोध दर्ज कराया। अम्बेसडेर से पुछा गया तो उन्होंने बात से कन्नी काट दी। भाजपा जिला महामंत्री व नगर पालिका भाजपा प्रभारी अजय सिंह चौहान ने भी अपना विरोध दर्ज कराया।
9. स्वच्छता के लिए नियुक्त किये गए अम्बेसडेरों का सम्मान नहीं किया गया और ना ही उनको मंच पर बुलाया गया। केवल एक अम्बेसडेर डॉ दिनेश जोशी को मचं पर बिठाया गया बाकि को मंच पर स्थान नहीं दिया गया। यह नगरपालिका का दौहरा रेवेया समझ से परे है। जबकि मंदसौर में स्वच्छता के नाम पर नाम कमाने वाले अम्बेसडेर पुखराज दशोहरा को काई तब्बजों ही नहीं दी गई जैसे कि वे इस कार्यक्रम व इस अभियान का हिस्सा ही ना हो मानो।
10. बड़े नेताओं में विधायक जी व नपा अध्यक्ष ने सफाईकर्मियों के साथ भोजन कर उनका होसला बढ़ाया लेकिन अधिकतर नेता व बड़े लोग कार्यक्रम खत्म होते ही छूमंतर हो गए व अपनी वयस्तता दर्शातें हुए समरसता भोज को छोड़ दिया। क्या यही भाजपा की दिखावटी समरसता है। जो उनके साथ खड़े होकर खाना तक नहीं खा सकती।
मन्दसौर नगर पालिका के लगभग सभी कर्मचारी वाल्मीकि समाज से आते है अर्थात अनुसूचित जाति से उनको इस प्रकार सम्मान के लिए बुलाकर समानता का दर्जा नहीं देना कहां का सम्मान है। मंच पर 6 कुर्सिया खाली थी। जिनपर कोई नहीं बैठा जबकि जितने लोग अपेक्षित हो उतनी ही कुर्सिया कार्यक्रम के दोरान मंच पर लगाई जाती है। नपा उपाध्यक्ष सुनिल महाबली को मंच पूरे कार्यक्रम के दौरान बैठे तो रहे पर नहीं उनसे किसी का सम्मान कराया गया और नहीं उनका किया गया वे केवल अकेले चुपचाप बिना किसी से बात किए लगभग बीच की कुर्सी पर बैठे रहे।
इन सभी उपरोक्त कारणों को देखते हुए सार निकलता है कि नगर पालिका में कर्मचारियों, अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों में कोई कोई प्रकार की खटपट जरूर है सत्ता के गुरूर में ये सारी चीजे हो रही है। अगर यह सब नहीं होता तों मन्दसौर और भी अच्छा स्थान प्राप्त कर सकता था।
निश्चित तौर पर नगरपालिका की मंशा कर्मचारियों का सम्मान करना ही रही होगी पर इन कमियों के कारण यह कार्यक्रम का मजा खराब हो गया। नगरपालिका ने खाने की व्यवस्था एक दम अच्छी रखी इसकी सराहना करने से काई भी अपने आप को रोक नहीं सका। मन्दसौर नगरपालिका के इस प्रयास का हेलो मन्दसौर डॉट कॉम सराहना करता है। ओर आशा सकते है कि भविष्य में इस प्रकार के अच्छें कार्यक्रम आयोजित करे।
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