
विज्ञापन पर प्रकाशक व मुद्रक का नाम जरूरी
आरपी एक्ट 1951 की धारा 127 A में यह प्रावधान है कि निर्वाचन विज्ञापन हेतु प्रिंट किए जाने वाली पंपलेट, हैंड बिल, पोस्टर या अदर डॉक्यूमेंट में प्रकाशक और मुद्रका नाम एवं पता अंकित होना अनिवार्य है। उल्लंघन होने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 27 A के तहत 2 वर्ष का कारावास अथवा 2 हजार रुपये जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
बिना प्रमाणीकरण के विज्ञापन पर दंड
प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया राजनीतिक विज्ञापनों को बिना प्रमाणीकरण के प्रकाशित नहीं कर सकती है। केबल टेलीविजन नेटवर्क अधिनियम 1995 के अंतर्गत अधिनियम के प्रावधान किसी भी केबल ऑपरेटर द्वारा उल्लंघन किए जाने पर अधिनियम की धारा 12 के प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में उपकरण जप्त करने के लिए प्रदान करती है इसी प्रकार अधिनियम की धारा 13 उपकरण और सजा दोनों से दंडित करने के लिए उपबंधित करती है। प्रिंट मीडिया को मतदान के 48 घंटे पूर्व विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए जिला स्तरीय एमसीएमसी समिति से प्रमाणन की आवश्यकता होगी। बिना प्रमाणन के प्रिंट मीडिया विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकता है।
इसके साथ ही प्रिंट मीडिया में विज्ञापन (विज्ञापन हेतु अभ्यर्थी की अनुमति है तो निर्वाचन व्यय में जोड़ा जाएगा यदि सहमति नहीं है तो 171 H (आईपीसी) के तहत प्रकाशक के विरुद्ध अभियोजन किया जा सकता है) भारतीय दंड संहिता की धारा 171 H के अनुसार चुनाव लड़ने वाले अभ्यर्थी की अनुमति के बिना विज्ञापनो पर किया जाने वाले व्यय निषेध है।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर मतदान के 48 घंटे पूर्व से चुनाव प्रचार पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर मतदान के 48 घंटे पूर्व से चुनाव प्रचार पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा। आरपी अधिनियम 1951 धारा 126 के तहत किसी भी निर्वाचन क्षेत्र में मतदान के समापन के आखिरी 48 घंटे की अवधि के दौरान टेलीविजन या इसी तरह के उपकरण के माध्यम से किसी भी चुनाव मामले को प्रसारित करने पर रोक लगाती हैं। धारा 126 के उपयुक्त प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 2 साल की अवधि कारावास या दंड अथवा दोनों किया जा सकता है।