
यशनगर के आगे बायपास पर बने नए कलेक्टोरेट की छत पर जल्द ही रोज 500 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। इसके लिए ऊर्जा विभाग द्वारा यहां करीब 67 लाख रुपए से 100 किलो वॉट का सोलर सिस्टम लगाया जा रहा है। इससे कलेक्टोरेट को बिजली मिलेगी व बाकी बिजली उपकेंद्र में संग्रहित की जाएगी। इससे नए कलेक्टोरेट को बिजली का बिल नहीं देना होगा। शासन को हर साल करीब 18 लाख रुपए की बचत हाेगी। करीब डेढ़ महीने में कलेक्टोरेट पर बिजली का उत्पादन शुरू होगा।
जिला प्रशासन द्वारा यशनगर के आगे बायपास पर हाल ही में नया कलेक्टोरेट भवन तैयार कराया गया है। इसमें अभी करीब 326 कमरों में 27 विभाग लग रहे हैं। दूसरे चरण में यहां एक और भवन बनना है जिसके बाद यहां करीब 38 विभाग संचालित होंगे। इतने बड़े भवन में बिजली की खपत भी अधिक होती है। कलेक्टोरेट में हर माह करीब एक से डेढ़ लाख रुपए का बिजली का बिल आता है। इस खर्च को कम करने व बिजली के उत्पादन को बढ़ाने के लिए शासन ने नए कलेक्टोरेट की छत पर ही बिजली उत्पादन के लिए पावर प्लांट लगाना शुरू कर दिया है। शासन ने छत पर सोलर सिस्टम के लिए काम शुरू कर दिया है। यहां 31 लाइन में करीब 310 प्लेट्स लगेंगी, यह पूरा सिस्टम 100 किलो वॉट का रहेगा। इससे रोज कलेक्टोरेट की छत पर करीब 500 यूनिट बिजली जनरेट होगी। इसे सीधे उपकेंद्र से जोड़ा जाएगा जिससे कलेक्टोरेट में जितनी बिजली खर्च होगी उसका चार्ज नहीं लगेगा। अतिरिक्त बिजली बनने पर वह ग्रिड में सुरक्षित हो जाएगी। हर माह मीटर में उत्पादन व खपत का हिसाब दर्ज होगा। कलेक्टोरेट में हर माह 15 हजार यूनिट की खपत भी होती है तो इससे शासन को करीब डेढ़ लाख रुपए की बचत होगी।
पहले की 100 यूनिट के बाद चार्ज लगेगा
बिजली कंपनी के अधीक्षण यंत्री बीएस चौहान ने बताया कि यदि किसी कार्यालय या कंपनी में रोज 500 यूनिट खपत होती है। तो वह महीने की करीब 15 हजार यूनिट खपत करता है। इस मान से उसका करीब डेढ़ लाख रुपए का बिल जनरेट होगा। इसमें पहले की 100 यूनिट के बाद यूनिट पर चार्ज बढ़ जाता है।
फरवरी तक बिजली उत्पादन शुरू हो सकता
नए कलेक्टोरेट पर 100 किलो वॉट का सोलर सिस्टम शासन स्तर से ही स्वीकृत हुआ है। बिजली उपकेंद्र में जाएगी। कलेक्टोरेट में विशेष मीटर लगेगा जो खपत व उत्पादन का हिसाब रखेगा। जो बिजली बन रही उससे कम खपत होने पर कलेक्टोरेट के खाते में जमा होगी। अधिक खपत होने पर यह यूनिट लेस हो जाएगी। फरवरी तक उत्पादन शुरू किया जा सकता है। एस.के. फारुखी, जिला अधिकारी, ऊर्जा विभाग